Posts

Showing posts from July, 2021

ऋतुओं के प्रकार

Image
  ऋतुओं के प्रकार ग्रीष्म ऋतु -   ग्रीष्म ऋतु मार्च महीने से मई के अंत तक रहती है। 21 मार्च सूर्य भूमध्य रेखा पर सीध में चमकता है। मार्च महीने के बाद मई तक तापमान में वृद्धि होती है। 21 जून को सूर्य जब कल का दिखा से लंबवत पर स्थित होता है उस समय उत्तर भारत में तापमान अपने चरम सीमा पर होता है। तापमान की अधिकता के कारण थार के मरुस्थल से लेकर पूर्व में गंगा के मध्य मैदान तक वायुदाब का क्षेत्र बनने लगता है। मार्च महीने से मई महीने तक गर्म एवं शुष्क हवाएं तेजी से बहती है। जो रात में उसकी गति धीमी हो जाती है एवं दिशा भी कोई निश्चित नही होता। इन हवाओं को लू कहते है। ये हवाएं हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, बिहार तथा अन्य मैदानी भागों में महसूस कि सकती है।  वर्षा ऋतु -   वर्षा ऋतु लगभग जून माह से सितंबर माह तक चलती है। संपूर्ण भारत में 85 से 90 प्रतिशत वर्षा इन्हीं माह में होती है। भारत के साथ-साथ बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल में भी वर्षा इसी माह के अंदर होती है। इस समय तापमान, वायुदाब हवाओं के बहने की दिशा और वर्षा की दिशा अन्य ऋतुओं की तुलना में ...

उद्योगों को स्थापना करने के लिए आवश्यक बाते

Image
  उद्योगों को स्थापना करने के लिए आवश्यक कारक   उद्योगों की विशेषता यह है कि वह निरंतर,अस्थिर तथा सतत रूप से अपनी जगह को परिवर्तित करता रहता है।  उदाहरण के लिए जिन क्षेत्रों में औद्योगिकीकरण की शुरुवात हुई थी, जहां सैकड़ों कारखाने लगाए थे लाखों मजदूर काम करते थे आज वे सभी विरान हैं।  क्योंकि कारखाना उस जगह से पलायन कर गए और दूसरी जगह विस्थापित हो गए। आज कई उद्योग छोटी इकाईयों में बंट गए है। और दुनिया के कई देशों में फैला हुआ है। यह निर्णय तो उद्योगपति अपने मुनाफे के अनुसार लेता जो बहुत से कारको पर निर्भर करती है -  1 कच्चा माल - सामान्यतः उद्योगों की स्थापना कच्चे माल की उपलब्धता के आधार पर किया जाता है। जिससे परिवहन की लागत बचे। लोहा बॉक्साइट एलुमिनियम जोड़ना आदि यह सब भारी एस होते हैं इसलिए इन उत्पादन क्षेत्र से दूर उद्योग स्थापित करने पर परिवहन का खर्चा बढ़ जाता है जिससे मुनाफा पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए इस तरह के उद्योगों को उत्पादन श्रोत के समीप पर स्थापित किया जाता है इसके विपरीत कपास या कपड़ा का भार बहुत कम होता है इसलिए कपास क...

भारत में मिलने वाले खनिज के प्रकार

Image
भारत में मिलने वाले खनिज 1 लौह अयस्क - लौह अयस्क से कच्चा लोहा तथा अनेक प्रकार के स्पार्क तैयार किए जाते हैं यह कहा जा सकता है कि आधुनिक विकास का आधार लोहा है। आप खुद अनुमान लगा सकते हैं कि आधुनिक जीवन कृषि, औद्योगिक उत्पादन, निर्माण तथा यातायात में लोहा - इस्पात कहां-कहां कितनी मात्रा में उपयोग होता है। इसी कारण कच्चे लोहे का उत्पादन अन्य सभी धातुओं की तुलना में अधिक होता है। इसकी विशेषता यह है कि इसमें अन्य धातुओं को मिलाकर उसकी मजबूती और कड़ेपन को घटाया या बढ़ाया जा सकता है। लौह अयस्क शुद्धतम रूप में नहीं पाया जाता। अयस्क में लोहे के अतिरिक्त अन्य खनिज पदार्थ भी मिले हुए होते हैं जैसे गंधक, फास्फोरस, चूना, एल्युमिनाम, मैग्नीशियम, सिलिका, टीटेनियम आदि इसे लौह अयस्क कहते हैं। रासायनिक प्रक्रिया के दौरान लोहे को इनसे पृथक किया जाता है।  धातु के मात्रा के अनुसार लौह अयस्क को चार भागों में बांटा जा सकता :- 1 हेमेटाइट ( 70% लोहा ), 2 मैग्नेटाइट ( 70.4 %), 3 लाइमोटाइट ( 59.63% लोहा ), 4 सिडेराइट ( 48.2% लोहा )। भारत में मुख्यता हेमेटाइट और मैग्नेटाइट मिल...

करो के प्रकार | types of tax

Image
                                करो  के प्रकार ( types of Tax )   सरकार के आय का सबसे बड़ा स्रोत कर होता है। सरकार कई तरह से कर के द्वारा आय संग्रहित करती हैं। हम सब ने कुछ कर जैसे मूल्य संवर्धित कर, सेवा कर, उत्पाद शुल्क, आयकर, संपत्ति कर, सीमा शुल्क आदि के बारे में सुना ही होगा इनको सब को दो भागों में बांटा जा सकता है पहला अप्रत्यक्ष कर दूसरा प्रत्यक्ष कर।  अप्रत्यक्ष कर (indirect tax) - अप्रत्यक्ष कर सेवाओं और वस्तुओं पर लगाया जाता है। हुमनें किसी वस्तु के पैकेट पर अधिकतम खुदरा मूल्य के साथ ( maximum retail price ) यह जरूर पढ़े होंगे - कर सहित। इसका अर्थ है कीमत के साथ कर सामिल है। इसी तरह कई प्रकार की सेवाओं जैसे मोबाइल या टेलीफोन के बिलों में कब शामिल रहता है।  उत्पाद शुल्क ( excise tax ) - यह कर कारखानों में उत्पादित होने वाली वस्तुओं पर लगाया जाता है। उत्पादित वस्तुओं के कारखाने के गेट से बाहर होने से पहले उस पर उत्पादन शुल्क लगाया जाता है। कारखा...

student contribution in nation building in Hindi

Image
                   सैकड़ों वर्षो की परतंत्रता के बाद हमारा देश आजाद हुआ | पराधीनता की स्थिति में भारत वासियों को स्वेक्षा पूर्वक अपनी उन्नति करने का अवसर प्राप्त नहीं था | विदेश सरकार के दबाव के कारण भारतीय अपनी योजनाओं के अनुसार कार्य नहीं कर पाते थे |  देश में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप में सरकार का दबाव अवश्य रहता था |  आज की बदलती परिस्थितियों में किसी भी देश का भविष्य उस देश के विद्यार्थियों के ऊपर निर्भर है | विद्यार्थी वर्ग ही एक ऐसा वर्ग है,  जो हर क्षेत्र में पहुंच सकता है। भारत का नव निर्माण विद्यार्थियों के उचित और पूर्ण सहयोग के बिना सफलतापूर्वक नहीं हो सकता |  इस देश के नवनिर्माण में विद्यार्थियों का योगदान आवश्यक है |   मानव अपनी आवश्यक सुविधाएँ प्राप्त करने के लिए खोज में लगारहता है | वर्तमान समय वैज्ञानिक तथा पूंजीवादी युग के नाम से जाना जाता है | भारत में वैज्ञानिक तथा आर्थिक उन्नति अत्यंत आवश्यक है |  भारत में प्राकृतिक साधन तो प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है,  परंतु अज्ञानता  ...

भारत के महान वैज्ञानिक

Image
     भारत के महान वैज्ञानिक    भारत का ज्ञान हमारे वेदों में समाहित है। वेदों में उपलब्ध ज्ञान की वर्णन होने से हमारी सभ्यता संस्कृति और समृद्ध ज्ञान की जानकारी मिलती रही है। आज जिसे हम विज्ञान कहते हैं वह हमारे ज्ञान के अंतर्गत ही समाहित है। प्राचीन/आधुनिक काल के कुछ प्रमुख वैज्ञानिक -  1 वराह मिहिर - वाराणसी का जन्म सन 499 लगभग में हुआ था। इन्होंने प्रथम बार विचार व्यक्त किया कि कोई शक्ति है जो पृथ्वी के साथ वस्तुओं को चिपकाए रखने में सहायक है। इनके द्वारा 'पंच सिंद्धान्तिका' नामक ग्रंथ की रचना की गई थी। इनका 'बृहदवाराही संहिता ' नामक ग्रंथ ज्योतिष शास्त्र का प्रधान आधार माना जाता है। 2 ब्रम्हागुप्त - इनका जन्म सन 518 गुजरात में हुआ था। उन्होंने सबसे पहले शून्य के उपयोग के लिए नियम बताए। उच्च गणित की एक शाखा संख्यात्मक विश्लेषण का काम किया इन्होंने अंकगणित और बीजगणित में अंतर बताने के लिए गणित की दो शाखाएं मानी। उन्होंने वराहमिहिर की तथ्य की व्याख्या करते हुए कहा कि पृथ्वी अपनी प्रकृति के कारण वस्तुओं को अपनी ओर आकर...

भारत में वनों का प्रकार

Image
        भारत में वनों का प्रकार वनों के बारे में बहुत सारे लोगों का अलग-अलग धारणाएं होती है जिनका महत्व भी अलग-अलग प्रकार का होता है। वनों में अनेक प्रकार के पेड़ - पौधे तथा जंगली जीव - जंतु का निवास स्थान होता है। कुछ लोगों के लिए वन डरावनी होते तो कुछ लोगों के लिए वन सुंदरता का प्रतीक। कुछ लोग वनों की पूजा भी करते है। आदिवासी लोग जंगलों में निवास कर अपना जीवन यापन करते है। वन आर्थिक संसाधनों का बहुमूल्य भाग है। वनों का उपयोग अलग-अलग तरह से भी होता है कुछ लोग वनों का उपयोग झोपड़ी बनाकर निवास करने के लिए करते हैं तो कुछ लोग दोनों को पर्यटन की तरह करते हैं। वनों का वर्गीकरण - वनों का वर्गीकरण प्रकाश किया जा सकता है जैसे वनों की सघनता के आधार पर, उन में पाए जाने वाले वनस्पतियों के आधार पर या प्रशासनिक व्यवस्थाओं के आधार पर। वनों के सघनता के आधार पर वनों को इन श्रेणियों में बांटा जा सकता है बहुत घने वन, घने वन, खुले झाड़ी वाले वन, विकृत वन आदि।  प्रशासनिक वर्गीकरण - वन विभाग द्वारा प्रशासनिक व्यवस्थाओं के आधार पर वनो...

Economics areas and activities in Hindi

Image
                  भारत के आर्थिक क्रियाएं एवं आर्थिक क्षेत्र   आर्थिक क्रियाएं - हमारे आसपास लोग अपनी आर्थिक आवश्यकताओं को पूरी करने के लिए तरह के काम कहते हैं । कहीं ना कहीं इन सभी कार्यों से वस्तुओं का उत्पादन होता है जैसे - बास की टोकरी बनाना है, सीमेंट का उत्पादन, फसल का उत्पादन, आदि। दूसरी ओर कई लोग सेवा प्रदान करते हैं उदाहरण के लिए बस चलाने वाला ड्राइवर, स्कूल में शिक्षा देने वाला शिक्षक, सरकारी विभागों में कार्य करने वाला कर्मचारी आदि। इसी तरह कई लोग सेवा प्रदान कर उसके बदले में धन प्राप्त करते हैं। वस्तुओं की तरह ही यहां लो पैसों से सेवा को खरीदते हैं।  इनमें से अधिकांश के हैं ऐसी क्रियाएँ है जिनमें हम धन का लेनदेन करते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी क्रियाएँ हैं जहां वस्तुओं एवं सेवाओं को प्राप्त करने के लिए धन का लेनदेन नहीं करना पड़ता है। कुछ आर्थिक क्रियाएँ इस प्रकार है -  किसान के द्वारा अनाज को उगाना एवं उसको बेचना।  व्यापारियों द्वारा उत्पादित सामग्री बाजार में खरीद बिक्री करना। स्कूल ...

भारत के पंच सरोवर और 12 ज्योतिर्लिंग

Image
                              पंच सरोवर और 12 ज्योतिर्लिंग  पंच सरोवर -  1 मानस सर - इसे मानसरोवर भी कहा जाता है । हिमालय के केंद्र में स्थित यह अत्यंत विस्तृत सरोवर है जो जनमानस के असीम श्रद्धा का पात्र है । यह भगवान शिव जी के निवास स्थान कैलाश के निकट है । माना जाता है कि यह देवी पार्वती यहां स्नान करती है । यहां एक शिला है जिसे बावन शक्तिपीठो में से एक माना जाता है  और इसी के निकट ही एक और बड़ी झील है जिसे राक्षसताल के नाम से जाना जाता है । यहां की कथा है कि रावण द्वारा यहां शिव आराधना किया गया था ।  2 नारायण सरोवर -   गुजरात राज्य के कच्छ जिले के सागर और सिंधु नदी के संगम स्थल के निकट प्रसिद्ध नारायण सरोवर स्थित है । आद्य शंकराचार्य ने यहां तपस्या की थी । नारायण सरोवर पर कार्तिक पूर्णिमा को अनेक साधु - संतों, भक्तो का अद्भुत समागम होता है ।  3 पुष्कर सरोवर - राजस्थान राज्य के अजयमेरु से 14 किमी दूर प्रसिद्ध पुष्कर सरोवर स्थिति है । यहां प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में ...