भारत के पंच सरोवर और 12 ज्योतिर्लिंग
पंच सरोवर और 12 ज्योतिर्लिंग
पंच सरोवर -
1 मानस सर - इसे मानसरोवर भी कहा जाता है । हिमालय के केंद्र में स्थित यह अत्यंत विस्तृत सरोवर है जो जनमानस के असीम श्रद्धा का पात्र है । यह भगवान शिव जी के निवास स्थान कैलाश के निकट है । माना जाता है कि यह देवी पार्वती यहां स्नान करती है । यहां एक शिला है जिसे बावन शक्तिपीठो में से एक माना जाता है और इसी के निकट ही एक और बड़ी झील है जिसे राक्षसताल के नाम से जाना जाता है । यहां की कथा है कि रावण द्वारा यहां शिव आराधना किया गया था ।
2 नारायण सरोवर - गुजरात राज्य के कच्छ जिले के सागर और सिंधु नदी के संगम स्थल के निकट प्रसिद्ध नारायण सरोवर स्थित है । आद्य शंकराचार्य ने यहां तपस्या की थी । नारायण सरोवर पर कार्तिक पूर्णिमा को अनेक साधु - संतों, भक्तो का अद्भुत समागम होता है ।
3 पुष्कर सरोवर - राजस्थान राज्य के अजयमेरु से 14 किमी दूर प्रसिद्ध पुष्कर सरोवर स्थिति है । यहां प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में विश्वप्रसिद्ध पशु मेला लगता है । यहां श्रीराम जी ने अपने पिता महराज दसरथ का श्राद्ध किया था । भगवान कृष्ण द्वारा यहां तपस्या करने की कथा भी है ।
यहाँ ब्रम्हाजी जी ने कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी से पूर्णिमा पर्यन्त यज्ञ किया था । संवत 713 में आद्य शंकराचार्य जी ने ब्रम्हाजी जी मूर्ति स्थापित की थी ।
4 पंपासरोवर - यह सरोवर कर्नाटक के मैसूर के पास स्थित है । तुंगभद्रा को पर करते हुए ( रामायणकालीन किष्किंधा ) जाते समय मुख्य मार्ग से बायीं ओर स्थित पंपासरोवर है । यही शबरी की गुफा और उनके गुरु मतंग ऋषि का आश्रम ' मतंगवन ' भी है ।
5 बिंदु सरोवर - गुजरात राज्य के कर्णावती ( अहमदाबाद ) से 130 किमी उत्तर के सिद्धपुर में बिंदु सरोवर विद्यमान है । इस सरोवर का उल्लेख त्रिग्वेद में भी मिलता है । यह वैदिक सरस्वती तट पर माना जाता है । इस तीर्थ को मातृ मोक्ष माना जाता है ।
12 ज्योतिर्लिंग :-
1 सोमनाथ ज्योतिर्लिंग - गुजरात के समुद्र तट पर प्रभास क्षेत्र मैं विराजमान सोमनाथ ज्योतिर्लिंग स्थित है । सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का भारत के इतिहास में सबसे बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। सोम अर्थात चंद्रमा के क्षय रोग की निवृत्ति के निमित्त उसकी तपस्या से प्रसन्न महादेव ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हुए । 1024 ई. में लूटेरा महमूद गजनबी ने इस मंदिर को ध्वस्त करने का प्रयास किया था तथा इस मंदिर से अटूट धन संपत्ति लूट कर ले गया था । लेकिन उससे महत्वपूर्ण है यह बात यह है कि स्वतंत्र भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार का अपने भाल पर लगे प्रभाव के कलंक को धो डाला ।
2 मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग - मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश श्री कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। मल्लिका अर्थात पार्वती और अर्जुन अर्थात शिव के संयुक्त संबोधन से इसका नामकरण मल्लिकार्जुन हुआ । किसी पावन स्थान पर आदि शंकराचार्य ने अपनी प्रसिद्ध रचना शिवानंद लहरी की रचना की थी ।
3 महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के शिप्रा नदी के तट पर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर स्थित है ।प्रायः सभी शिवलिंगो की जललहरी का मुख उत्तर दिशा की ओर होता है परंतु इस शिवलिंग का मुख दक्षिण दिशा की और है । इसलिए इस स्थान पर तंत्र साधकों का विशेष आकर्षण रहा है । कालगणना का प्रधान केंद्र होने के कारण इसका नाम महाकाल है ।
4 ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग - मध्य प्रदेश के निमाड़ अंचल में नर्मदा किनारे मांधाता पर्वत पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग ओंकार क्षेत्र में स्थित है । यह स्थान मान्धाता की तपस्या, मारकण्डेय के प्रलय में भी न डूबने वाले आश्रम और आद्य शंकराचार्य के गुरु श्री गोविंद भगवतपादाचार्य की तपस्थली रहा है । शिव महापुराण के रुद्र कोटि संहिता के अनुसार इस ओंकार क्षेत्र में विद्यमान ज्योतिर्लिंग का नाम परमेश्वर है लेकिन लोकमान्यता में इनकी प्रसिद्धि ओंकारेश्वर से है ।
5 केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग - हिमालय के उतुंग शिखर पर स्थित ज्योतिर्लिंग केदारेश्वर जिसे केदारनाथ के नाम भी जाना जाता है । यह भारत का प्रसिद्धम तीर्थ स्थल है जो पर्वत के दुर्गम शिखर के बीच स्थित है ।
शीतकाल आते ही इस मंदिर का कपाट महीने के लिये बंद कर दिये जाते है । इस मंदिर के निकट आदि शंकराचार्य जी की समाधि भी है । इस ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति महाभारत के भीमसेन से भी संबंध है ।
6 भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र सहयाद्री पर्वतमालाओं एक सुरम्य उपत्यका ( घाटी ) में भीमा नदी के तट पर विराजमान यह ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर कहलाता है । कुंभकर्ण के पुत्र भीमासुर के वध की कथा इसी स्थान में गड़ी गयी है ।
7 विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग - पावन गंगा नदी के किनारे स्थित काशी के प्रधान देवता विश्वेश्वर या विश्वनाथ कहलाते है । यहाँ प्राचीन मान्यता है कि काशी के मृत्यु प्राप्त करने से प्राणी मुक्ति को प्राप्त करता है ।
8 त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग - त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य के नासिक नामक नगर के निकट ब्रह्मागिरी की तलहटी में स्थित है । यह ब्रह्मा विष्णु महेश के एकाकार स्वरूप के प्रतीक है। यह स्थान गोदावरी के निकट है। गोदावरी दक्षिण की गंगा नाम से प्रख्यात है। गोदावरी समीपवर्ती गौतम ऋषि के नाम से गौतमी भी कहलाती है ।
9 वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग - वर्तमान में झारखंड राज्य के संथाल परगना जसीडीह नामक स्टेशन के पास देवघर नामक स्थान पौराणिक संदर्भ में चिता भूमि कहलाती है। यही वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग रावण द्वारा स्थापित की गई थी ।
10 नागेश्वर ज्योतिर्लिंग - गुजरात के दारुक वन नामक प्रसिद्ध स्थल पर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग विद्यमान है। चांदी के सुंदर नाक से अलंकृत इस ज्योतिर्लिंग का अभिषेक केवल गंगा नदी के जल से ही किया जाता है। मंदिर परिसर में ही स्थित पद्मासन में स्थित शिव का विशाल विग्रह इस मंदिर का प्रमुख आकर्षण है।
11 रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग - दक्षिण समुद्री तट पर स्थित तमिलनाडु राज्य के रामनाथ जिले में इस प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग की स्थापना सेतु बनाने से पूर्व भगवान श्री राम द्वारा की गई थी। इसलिए इसे राम के ईश्वर अर्थात रामेश्वरम से प्रसिद्ध हुआ । इस ज्योतिर्लिंग का मंदिर और उसका विशाल परिसर हिंदू स्थापना कला का श्रेष्ठ उदाहरण माना जाता है । यहां से थोड़ी ही दूर पर धनुष्कोटी में श्रीराम द्वारा बनाए गए रामसेतु का अवशेष आज भी देखने को मिलता है।
12 घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र राज्य के देवरी क्षेत्र के घरेलू नामक गांव में घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग विराजमान है। यह स्थान शिवाला के नाम से ही जाना जाता है। उस्मानाबाद भक्ति मति महिला के प्रथम पूज्य होने के कारण यहां शिव घृष्णेश्वर या घुमेश्वर कहलाये ।
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