करो के प्रकार | types of tax
करो के प्रकार ( types of Tax )
सरकार के आय का सबसे बड़ा स्रोत कर होता है। सरकार कई तरह से कर के द्वारा आय संग्रहित करती हैं। हम सब ने कुछ कर जैसे मूल्य संवर्धित कर, सेवा कर, उत्पाद शुल्क, आयकर, संपत्ति कर, सीमा शुल्क आदि के बारे में सुना ही होगा इनको सब को दो भागों में बांटा जा सकता है पहला अप्रत्यक्ष कर दूसरा प्रत्यक्ष कर।
अप्रत्यक्ष कर (indirect tax) -
अप्रत्यक्ष कर सेवाओं और वस्तुओं पर लगाया जाता है। हुमनें किसी वस्तु के पैकेट पर अधिकतम खुदरा मूल्य के साथ ( maximum retail price ) यह जरूर पढ़े होंगे - कर सहित। इसका अर्थ है कीमत के साथ कर सामिल है। इसी तरह कई प्रकार की सेवाओं जैसे मोबाइल या टेलीफोन के बिलों में कब शामिल रहता है।
उत्पाद शुल्क ( excise tax ) - यह कर कारखानों में उत्पादित होने वाली वस्तुओं पर लगाया जाता है। उत्पादित वस्तुओं के कारखाने के गेट से बाहर होने से पहले उस पर उत्पादन शुल्क लगाया जाता है। कारखाने का मालिक या प्रबंधक उत्पादन की मात्रा के अनुसार सरकार को यह शुल्क देता है।
उत्पाद शुल्क वैसे तो कारखानों से वसूल किया जाता है लेकिन वास्तव में यह उपभोक्ताओं को ही चुकाना पड़ जाता है। कारखाने का मालिक अपने वस्तुओं को बेचते समय उसकी कीमत सभी करो को जोड़कर कीमत बढ़ाकर उसे बाजार में बेचता है। उदाहरण के लिए जैसे टीवी का सेट की कीमत अगर ₹15000 है तो कंपनी इस पर ₹1500 का उत्पाद शुल्क देती है तो इससे उनको भी टीवी की कीमत के साथ जोड़ देती है। उपभोक्ता जब टीवी खरीदने जाता है तो यह है उससे ₹16500 में खरीदना पड़ता है।
वस्तुओं पर कर लगाने से उनकी कीमत बढ़ती ही है लेकिन कुछ कच्चे माल पर भी कर लगाने से उनकी दाम भी बढ़ जाते हैं। उदाहरण के लिए साइकिल बनाने के लिए स्टील पाइप की जरूरत होती है स्टील कंपनियों को लौह अयस्क और कोयले की जरूरत होती है सरकार अगर लौह अयस्क पर कर बढ़ाती है तो उसका प्रभाव साइकिल उद्योग पर भी पड़ता है स्टील से बनने वाली सभी वस्तुओं के दामों में बढ़ोतरी होता जाएगा। इस तरह अगर लौह अयस्क पर पर लगता है तो इससे उत्पादित होने वाली अन्य वस्तुओं पर भी कीमतों में वृद्धि होगी क्योंकि उत्पादन की प्रक्रिया एक दूसरे से श्रृंखलाबध्द में जुड़ी हुई है जिसके कारण इसका व्यापक रूप से प्रभाव देखने को भी मिलता है।
कोई भी वस्तु को निर्माण या उत्पादन के बाद विक्रेताओं की पूरी श्रृंखला से गुजरनी पड़ती है। उत्पाद कर किसी भी वस्तु के उत्पादन पर लगाया जाता है जबकि बिक्री कर वस्तु के बेचे जाने पर लिया जाता है। आप अगली बार जब कोई वस्तु खरीदें तो उसका बिल लीजिए उस बिल में वस्तु की कीमत के साथ मूल्य संवर्धित कर यानी वैल्यू ऐडेड टैक्स भी जुड़ा हुआ रहता है। आपके बिल में लिखा vat कर यह सूचित करता है कि इस पर कर को वस्तु के बेचने वाला सरकार को देना पड़ता है। उत्पाद शुल्क की तरह ही बिक्री कर का भार भी उपभोक्ता के ऊपर किसी न किसी प्रकार से डाल दिया जाता है जिससे उपभोक्ता क्रय की गई वस्तुओं कि अधिक मूल्य चुकाना पड़ता है। लाभ और कर का अनुपात अलग-अलग वस्तुओं राज्यों के हिसाब से हो सकता है।
ध्यान रखने वाली बात यह है कि चाहे कोई भी वस्तु हो उसकी कीमत में कर जुड़ा रहता है। इसी तरह कई प्रकार की सेवाओं पर भी कर लगाया जाता है। सेवा कर यानी सर्विस टैक्स कुछ सामान्य उदाहरण जैसे स्पीड पोस्ट, टेलीफोन, मोबाइल सेवा, रेस्टोरेंट्स, रेलगाड़ियों में वातानुकूलित डिब्बो में सफर करना इत्यादि।
वस्तुओं पर लगने वाले एक अन्य महत्वपूर्ण कर है जो सीमा शुल्क के रूप में होता है जो विदेशो से आयात होने वाले वस्तुओं पर सरकार लगाती है। उदाहरण के लिए कोई व्यक्ति विदेश से लौट रहा है और अपने साथ एक कैमरा खरीद कर ला रहा है तो उससे हमारे देश के हवाई अड्डे पर उस कमरे पर सीमा शुल्क के रूप में कर चुकाया जाता है। इसी प्रकार अनेक कारखानों को विदेशों से कच्चा माल या उत्पादन करने वाली मशीनों को आयात करने से उन्हें सीमा शुल्क देना पड़ता है।
मूल्य संवर्धित कर ( value added tax ) -
यह राज्यो के द्वारा वस्तुओं की बिक्री पर लगता है। उदारहरण के लिए - मनीष ने अपने कंप्यूटर के लिए विभा राम कंप्यूटर से हार्ड डिस्क खरीदा। बिना वैट के इसका बिल ₹5000 है। परंतु इस पर 10 % वैट लगाया गया तो इसका मूल्य ₹5500 हो गया।
पिछले करीब एक दसक से वस्तओं पर लगने वाले टैक्स को मूल्य संवर्धित कर प्रणाली में बदल दिया गया और इसे नाम दिया गया वैट ( VAT )।
प्रत्यक्ष कर -
कुछ कर ऐसे भी होते है जो व्यक्तिगत होता है जिसे सरकार को अदा करना पड़ता है। ये कर व्यक्तिगत आय या कंपनियों के आय या व्यापार में होने वाले आय पर लगाया जाता है। ऐसे करो को प्रत्यक्ष कर कहा जाता है।
हमारे यहां 2 प्रमुख रूप से प्रत्यक्ष कर होते है -
1 निगम कर ( corporate tax ) - कारखाने या व्यवसाय करने वाले कंपनियो को corporate tax देना पड़ता है। यह कर सभी कंपनियो को उत्पादन में हुए खर्चे को छोड़ कंपनी के अर्जित आय पर लिया जाता है।
2 आयकर ( income tax ) - यह किसी व्यक्ति के निजी आय पर लगाया जाता है। व्यक्ति के आय के बहुत सारे साधन हो सकते है जैसे - भत्ता, वेतन, पेंशन। इसके अलावा कोई बैंक पर रखी पूंजी से ब्याज अर्जित कर सकता है। अपनी संपत्ति से किसी को किराए पर देकर पूंजी अर्जित कर सकता है। इन सभी पर आय कर देना पड़ता है।
आयकर एक निश्चित आय से अधिक अर्जित पूंजी पर देना होता है। आय कर कुल आय का निश्चित प्रतिशत होता है। जिनकी अर्जित आय अधिक होती है उनको उतना ही ज्यादा उस आय पर कर देना होता है।
करो का न्यायसंगत होना -
हमे लगता होगा कि हमे अपनी पूंजी पर या उत्पादन पर कर लेकर सरकार हम पर अन्याय कर रही है, परंतु ऐसा नही है, सरकार जो हमसे कर वसूल करती है उसकी राशि हमारी सुरक्षा तथा अन्य योजनाओं पर क्रियान्वन करती है। जैसे सीमा पर बाह्य आक्रमणों से सुरक्षा के लिए सैनिक तैनात करना, सार्वजनिक रूप सर जनता के हित के लिए विभिन्न योजना निकलना आदि। सरकार द्वारा सीमित रूप से कर वसूल करना सर्वथा उचित है। जिसमे हमे जिम्मेदार नागरिक होने के नाते पूर्ण सहयोग प्रदान करना चाहिए।
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