भारत में मिलने वाले खनिज के प्रकार




भारत में मिलने वाले खनिज


1 लौह अयस्क -

लौह अयस्क से कच्चा लोहा तथा अनेक प्रकार के स्पार्क तैयार किए जाते हैं यह कहा जा सकता है कि आधुनिक विकास का आधार लोहा है। आप खुद अनुमान लगा सकते हैं कि आधुनिक जीवन कृषि, औद्योगिक उत्पादन, निर्माण तथा यातायात में लोहा - इस्पात कहां-कहां कितनी मात्रा में उपयोग होता है। इसी कारण कच्चे लोहे का उत्पादन अन्य सभी धातुओं की तुलना में अधिक होता है। इसकी विशेषता यह है कि इसमें अन्य धातुओं को मिलाकर उसकी मजबूती और कड़ेपन को घटाया या बढ़ाया जा सकता है। लौह अयस्क शुद्धतम रूप में नहीं पाया जाता। अयस्क में लोहे के अतिरिक्त अन्य खनिज पदार्थ भी मिले हुए होते हैं जैसे गंधक, फास्फोरस, चूना, एल्युमिनाम, मैग्नीशियम, सिलिका, टीटेनियम आदि इसे लौह अयस्क कहते हैं। रासायनिक प्रक्रिया के दौरान लोहे को इनसे पृथक किया जाता है। 


धातु के मात्रा के अनुसार लौह अयस्क को चार भागों में बांटा जा सकता :- 1 हेमेटाइट ( 70% लोहा ), 2 मैग्नेटाइट ( 70.4 %), 3 लाइमोटाइट ( 59.63% लोहा ), 4 सिडेराइट ( 48.2% लोहा )। भारत में मुख्यता हेमेटाइट और मैग्नेटाइट मिलता है। 


हेमेटाइट अयस्क मुख्यतः प्रायद्वीपीय पठार में मिलता है उच्च कोटि का हेमेटाइट अयस्क छत्तीसगढ़ का बैलाडिला क्षेत्र, कर्नाटक का बेल्लारी होस्पेट क्षेत्र, झारखंड उड़ीसा का सुंदरवन में मिलता है। मैग्नेटाइट गोवा, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान और झारखंड में है। झारखंड और उड़ीसा के लौह अयस्क के भंडार आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है तथा देश के लोहा व इस्पात कारखानों की स्थिति निर्धारण पर इनका निर्णायक प्रभाव दिखता है। 



2 मैगनीज -

इस्पात में लगभग भारत से 14% मैग्नेट होता है मैं भी इसका प्रमुख प्रयोग लोहा इस्पात उद्योग में होता है जहां इसे लोहे के साथ मिलाकर इस्पात तैयार किया जाता है लगभग आधे से ज्यादा मैडम इसका उपयोग लोहा इस्पात उद्योग में ही किया जाता है मैग्नीज युक्त इस्पात अधिक कठोर होता है तथा घर्षण सहन करने की क्षमता भी होती है मैग्नीज इस्पात का प्रयोग क्रेशर वेल्डर आदि जैसे मशीनो बनाने में होता है इसके अलावा भी मैग्नीज का उपयोग मिट्टी के बर्तन, प्लास्टिक, फर्श वाले टाइल्स, ग्लास, वार्निश, शुष्क बैटरी आदि बनाने में किया जाता है। 


3 क्रोमाइट अयस्क -

क्रोमियम का एक मात्र अयस्क क्रोमाइट है। मैंगनीज के जैसे ही क्रोमियम का उपयोग लौह इस्पात में मिश्रण के लिए किया जाता है। इसके उपयोग से उच्च ताप को सहन करने वाला इस्पात तैयार किया जाता है। इस्पात में क्रोमियम 3% मात्रा मिलाने आरी, हथोड़ा कुल्हाड़ी आदि बनाने के लिए कठोर इस्पात तैयार किया जाता है। इससे थोड़ी और अधिक मात्रा 12 से 15% मिलाने पर उष्मा सह घर्षण और संक्षारण सह इस्पात तैयार किया जाता है जिसका उपयोग रसोई घर का बर्तन बनाने में किया जाता है जैसे मशीन के लिए रिंग सूरी काटा आदि घुमिया के साथ मीटिंग मिलाने पर इस्पात में जल, भाप, आर्द्र वायु तथा अम्ल से होने वाली क्षरण से बचने की क्षमता आती है। क्रोमियम के साथ अगर कोबाल्ट, टंग्स्टन तथा मालिब्लेडम मिलाया जाता है तो बहुत ही मजबूत इस्पात बनता है जिसे स्टेलाइट कहते है। जिसका उपयोग कर उच्च वेग वाली मशीनों की पुर्जे बनाने में किया जाता है। क्रोमियम का उपयोग रंग, वस्त्र उद्योगों, चमड़ा में भी किया जाता है। उड़ीशा में क्रोमियम का सर्वाधिक भंडार है। 


4 टंग्स्टन -

आधुनिक भारतीय उद्योगों में अलाय स्टील बनाने के लिए टंगस्टन धातु का विशेष महत्व है इसके उपयोग से स्वाद मजबूती कठोरता घर्षण और धक्का सहने की क्षमता में वृद्धि होती है टंगस्टन मिश्रित स्टील को उच्च श्रेणी के काटने वाले औजारों के निर्माण के  लिए उपयोग किया जाता है। टंग्स्टन, कोबाल्ट और क्रोमियम मिश्रित स्टेलाइट का उपयोग बंदूके, कवच आदि बनाने के लिए जाता है। इसका उपयोग विद्युत उपकरण बनाने में भी किया जाता है जैसे - बल्ब, ट्यूब के फिलामेंट बनाने में आदि। क्योकि इसकी अधिक विद्युत प्रवाह को सहन करने की क्षमता होती है। इसमे विद्युत को प्रकाश में बदलने की क्षमता इतनी अधिक होती है। जिसके कारण इसे फिलामेंट के रूप में उपयोग किया जाता है। यह भारत मे मुख्यतः राजस्थान, कर्नाटक, बंगाल, महाराष्ट्र में पाया है। 


5 तांबा - 

ताँबे का उपयोग मानव प्राचीन काल से करता आ रहा है। टिन तथा ताँबे को मिश्रित करके काँस्य धातु बनाया जाता है। ताँबे के मिश्रण से पीतल के भी निर्माण किया जाता है। जिसका प्रयोग उपकरण, सिक्के आदि बनाने में किया जाता है। उन्नीसवी सदी में बिजली के आविष्कार से ताँबे का महत्व बढ़ गया क्योकि यह ताप तथा उष्मा का उत्तम सुचालक है तथा रासायनिक क्षरण के अवरोधक के रूप उपयोग होता है। जिसके कारण से बहुतायत विद्युत उद्योगों में ताँबे का प्रयोग अधिक होने लगा। तांबे के मिश्र धातुओं का उपयोग टेलीफोन, रेडियो, हवाई यान, रेल उपकरण, रेफ्रिजरेटर, घरेलू बर्तन गिलास आदि चीजो में बहुतायत रूप से किया जाने लगा। यह अधिकांश झारखण्ड, राजस्थान, और मध्यप्रदेश मिलती है।फिर भारत मे ताँबा का उत्पादन अपेक्षाकृत कम है। 



6 सीसा ( lead ) -

सीसे का उपयोग वर्तमान समय मे परिवहन, संचार और बिजली के उत्पादन में किया जाता है। यह धातु भारी, नरम तथा लचीला होता है। इसका बहुतायत रूप से उपयोग विद्युत उद्योग में संचालक बैटरी तथा तार गढ़ने के लिए भी किया जाता है। रसायन उद्योग इसका द्वितीय उपभोक्ता के रूप होता है जहां सीसा, रंग, टेट्राएथिल कीटनाशक आदि बनाये जाते है। 



7 बॉक्साइट -

ऐलुमिनियम का प्रमुख स्रोत बाक्साइट है। भारत बाक्साइट उपलब्धता अधिक है। भारतकी भू - गर्भ सर्वेक्षण 2010 के अनुसार कुल भंडार 348 करोड़ टन था। देश के कुल बाक्साइट भंडार का लगभग आधा हिस्सा उड़ीशा से प्राप्त होता है। इसके अलावा गुजरात, आंध्रप्रदर्श, छत्तीसगढ़ तथा महाराष्ट्र में बाक्साइट की उपलब्धता है। 


8 कोयला -

ऊर्जा प्राप्त करने के लिए कोयला प्रमुख स्रोत है। पहले के दशक में कोयला को केवल ईंधन के रूप में किया जाता था परंतु यहां 18 वीं सदी में औद्योगिकरण का महत्वपूर्ण आधार बना 18 वीं सदी में इसका उपयोग लौह अयस्क को गलाने तथा लौह इस्पात में इसका उपयोग किया जाने लगा भाप संचालित इंजन में जैसे रेलगाड़ी खींचने, पानी जहाज चलाने, कारखाना मशीन चलाने में किया जाने लगा। यह सभी कोयलों से ही चलता था। बाद में विद्युत की खोज होने पर इसका उपयोग प्रचुर मात्रा में विद्युत उत्पन्न करने में होने लगा। भारत मे कोयला झारखंड और पश्चिम बंगाल के दामोदर घाटी, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र तथा छत्तीसगढ़ इसका प्रमुख स्रोत है। 


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