उद्योगों को स्थापना करने के लिए आवश्यक बाते
उद्योगों को स्थापना करने के लिए आवश्यक कारक
उद्योगों की विशेषता यह है कि वह निरंतर,अस्थिर तथा सतत रूप से अपनी जगह को परिवर्तित करता रहता है। उदाहरण के लिए जिन क्षेत्रों में औद्योगिकीकरण की शुरुवात हुई थी, जहां सैकड़ों कारखाने लगाए थे लाखों मजदूर काम करते थे आज वे सभी विरान हैं। क्योंकि कारखाना उस जगह से पलायन कर गए और दूसरी जगह विस्थापित हो गए। आज कई उद्योग छोटी इकाईयों में बंट गए है। और दुनिया के कई देशों में फैला हुआ है। यह निर्णय तो उद्योगपति अपने मुनाफे के अनुसार लेता जो बहुत से कारको पर निर्भर करती है -
1 कच्चा माल - सामान्यतः उद्योगों की स्थापना कच्चे माल की उपलब्धता के आधार पर किया जाता है। जिससे परिवहन की लागत बचे। लोहा बॉक्साइट एलुमिनियम जोड़ना आदि यह सब भारी एस होते हैं इसलिए इन उत्पादन क्षेत्र से दूर उद्योग स्थापित करने पर परिवहन का खर्चा बढ़ जाता है जिससे मुनाफा पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए इस तरह के उद्योगों को उत्पादन श्रोत के समीप पर स्थापित किया जाता है इसके विपरीत कपास या कपड़ा का भार बहुत कम होता है इसलिए कपास के परिवहन तथा उससे बनने वाले धागे के परिवहन में होने वाला खर्चा कम होता है इसलिए सूती वस्त्र उद्योग हजार के निकट ही लगाया जाता है।
3 शक्ति या ऊर्जा - किसी भी उद्योग या कारखानों में मशीनों को चलाने के लिए विद्युत शक्ति की आवश्यकता पड़ती है। शक्ति, ताप बिजली, जल विद्युत (बांधों से), बिजली सौर ऊर्जा ऊर्जा आदि से मिलती है, कोयला या पेट्रोल या डीजल ये सब सीमित रूप से विद्यमान है। और भविष्य में इनका खत्म हो जाने की संभावना है। इसलिए ऊर्जा का दूसरा विकल्प सौर ऊर्जा है जिन राज्यो में या कारखानों में बिजली सतत रूप से विद्यमान है। वहां की उत्पादन क्षमता बढ़ जाती है। इसलिए उद्योग की स्थापना के लिए ऊर्जा अहम भूमिका निभाती है।
4 बाजार - उद्योगों या कारखानों में उत्पादित वस्तुओं को खपत करने के लिए बाजार की आवश्यकता होती है। अतः सभी उत्पादों में को बाजार तक ले जाना होता है साथ ही साथ बाजार के बदलते हुए स्वरूप उद्योग को स्थापित करने के लिए तथा उद्योग के मुनाफा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बाजार से तात्पर्य केवल परिवहन खर्च कम करने से नहीं होता बल्कि बाजार में नए-नए उत्पादों की खपत के साथ-साथ लोगों का उत्पादों के प्रति रुचि बनाए रखना होता है। इसके लिए वस्तुओं का आकर्षक होना एवं गुणवत्ता में अच्छा होना भी महत्वपूर्ण होता है साथ ही मानक बाजार की भी आवश्यकता होती है जिससे दुनिया भर में लोग ज्यादा से ज्यादा उस उत्पाद की मांग रहे ताकि लोग भी सोच व रुझान खपत में समरूपता हो।
5 श्रम - उद्योगों या कारखानों में काम करने के लिए प्रशिक्षित और कुशल मजदूरों की आवश्यकता होती है साथ ही कुशल वैज्ञानिक, मैनेजर, कंप्यूटर प्रोग्रामर आदि की आवश्यकता होती है। औद्योगीकरण कि यह जरूरत है कि कुछ लोग बाकियों से हटकर सोचें नई-नई चीजों की खोज करें, समस्याओं को नए तरीके से समाधान करें अर्थात लोग सृजनशील और भीड़ से हटकर सोचने वाले बने।
विकासशील देशों में मजदूरों की समस्या भिन्न रूप से होती है। सघन जनसंख्या वाले देशों में बेरोजगारी की समस्या गंभीर है। अतः वे सस्ते दाम में कार्य करने के लिए सज्ज हो जाते हैं। लेकिन उनमें कुशलता की कमी होती है। अधिकांशतः वे अशिक्षित और आधुनिकीकरण से वंचित होते हैं जो उद्योगों के लिए जरूरत होती है उन्हें सक्षम श्रमिक नहीं मिल पाते। देश के कई कारीगरों को सफलता हासिल करने के लिए विदेश भेजे जाते हैं तथा ट्रेनिंग दी जाती है।
रोजगार के मामले में महत्वपूर्ण परिवर्तन यह हुआ है कि बहुत सारे कंपनी अब स्थाई कर्मचारी या काम करने वाले को रखना चालू कर दिए हैं और वह अस्थाई या ठेके पर काम करने वालो को रखने लगी है। इससे कंपनी की श्रम तथा लागतो कि बचत हो रही है। यह परिस्थिति यूरोप, अमेरिका के विकसित देशों में परिस्थितियों से भिन्न है।
6 पूंजी - उद्योगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण जरूरत है पूंजी। उद्योगों की स्थापना के लिए पूंजी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पूंजी उपलब्ध कराने के लिए कई संस्थान होते हैं जैसे शेयर बाजार बीमा कंपनी। इनके होने से किसी भी उद्योगपति को उद्योग खोलने के लिए पूंजी उपलब्ध हो सकती है। लोग अपना धन खाली व अनुपयोगी ना रखें और उसे लाभ कमाने के लिए निवास करे जैसे बैंक, LIC, शेयर बाजार आदि।
उद्योगों में व्यक्तिगत पूंजी केवल व्यापारिक तथा लाभ की दृष्टि से निवेश की जाती है और इस प्रकार की पूंजी से उन्हीं स्थानों पर उद्योग स्थापित हो पाता है जहां लाभ की संभावना निश्चित होता है जैसे मुंबई के कपड़ा उद्योगों में व्यक्तिगत पूंजी का आकर्षण इसी दृष्टिकोण से हुआ था। विदेशी व्यक्तिगत पूंजी भी इसी लक्ष्य पूरा करने के लिए उद्योगों में लगाई जाती है। इसके विपरीत सरकारी पूंजी निवेश केवल आर्थिक लाभ को ध्यान रखकर नहीं किया जाता बल्कि पिछड़े हुए प्रदेशो के विकास तथा प्राकृतिक संपत्ति के उपयोग, संतुलित विकास को ध्यान में रखकर सरकारी पूंजी का निवेश किया जाता है।
7 प्रौद्योगिकी - प्रौद्योगिकी जितनी आधुनिक होगया उतना ही उत्पादन उतना ही सहज व कम लागत में होगा। विकसित देशों के पास आधुनिक प्रौद्योगिकी होने के कारण वहां औद्योगिकीकरण अधिक विकसित हुई है। तथा नए - नए अनुसंधान एवं नई तकनीक के उपयोग से उत्पादन की दर में बढ़ोतरी हुई है इसलिए यह आवश्यक है की प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास हो ताकि औद्योगिकीकरण की दर पर भी वृद्धि हो।
Nice
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