student contribution in nation building in Hindi

  



               सैकड़ों वर्षो की परतंत्रता के बाद हमारा देश आजाद हुआ | पराधीनता की स्थिति में भारत वासियों को स्वेक्षा पूर्वक अपनी उन्नति करने का अवसर प्राप्त नहीं था | विदेश सरकार के दबाव के कारण भारतीय अपनी योजनाओं के अनुसार कार्य नहीं कर पाते थे |  देश में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप में सरकार का दबाव अवश्य रहता था |  आज की बदलती परिस्थितियों में किसी भी देश का भविष्य उस देश के विद्यार्थियों के ऊपर निर्भर है | विद्यार्थी वर्ग ही एक ऐसा वर्ग है,  जो हर क्षेत्र में पहुंच सकता है। भारत का नव निर्माण विद्यार्थियों के उचित और पूर्ण सहयोग के बिना सफलतापूर्वक नहीं हो सकता |  इस देश के नवनिर्माण में विद्यार्थियों का योगदान आवश्यक है | 


 मानव अपनी आवश्यक सुविधाएँ प्राप्त करने के लिए खोज में लगारहता है | वर्तमान समय वैज्ञानिक तथा पूंजीवादी युग के नाम से जाना जाता है | भारत में वैज्ञानिक तथा आर्थिक उन्नति अत्यंत आवश्यक है |  भारत में प्राकृतिक साधन तो प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है,  परंतु अज्ञानता  के कारण इन साधनों को ठीक तरह से प्रयोग ना करने के कारण यह आर्थिक तथा वैज्ञानिक दोनों क्षेत्र में पिछड़े हुए हैं | स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में नव निर्माण का कार्य आरंभ हो गया है, पर इसकी अंतिम सफलता विद्यार्थी वर्ग पर निर्भर करती है, विद्यार्थी को पूरी लगन व श्रद्धा के साथ देश के नव निर्माण का कार्य करना होगा, तभी देश की उन्नति की ओर अग्रसर होगा |  वर्तमान समय में कारखानों का हो रहा है |  विद्युत शक्ति का उत्पादन हो रहा है |  कृषि, व्यवसाय, यातायात तथा  तथा वैज्ञानिक अनुसन्धान स्थापित करने के लिए अनेक योजनाये बनायीं जा रही है, पर इन  सबके  बाद इसकी अंतिम सफलता विद्यार्थी वर्ग  पर ही निर्भर है | 


 सामाजिक तथा धार्मिक क्षेत्र में भी परिवर्तन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं |  समाज में कुछ दुर्गुण है |  उन्हें दूर करना  अत्यंत आवश्यक है, जिससे समाज के ढांचे को बिगड़ने से बचाया जा सके  | कोई भी सुधार अन्धानुकरण के आधार पर नहीं होना चाहिए |  सुधारों के भावी  परिणामों को दृष्टि में रखकर बढ़ना आवश्यक है | भारतीय धर्म तथा संस्कृति के मूल विशेषताओं को ध्यान में रखकर उपयोगी सुधार होना आवश्यक है |  इन सभी का अंतिम परिणाम तो विद्यार्थी वर्ग को पूर्णता भोगना पड़ेगा  | अतः उन्हें बुद्धि से कार्य करना चाहिए | जाति वर्ग ही सामाजिक धार्मिक क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं |


 संसार की राजनीतिक  मान्यताएं बदल रही है |  प्रजातांत्रिक भावना का विकास हो रहा है |  व्यक्तिवादी दृष्टिकोण बदलाता जा रहा है | एक पक्ष साम्यवादी विचारधारा का है, जिसमे व्यक्ति नहीं राष्ट्र सर्वोपरि है | सारा संसार इन्ही विचारधाराओं से प्रभावित है | आज सबसे बड़ी समस्या यह है की आज का विद्यार्थी और कल का नागरिक अपने देश की परिस्थितियों से अनुकूल राजनैतिक विचारो को अपनाये | उसका दृष्टिकोण समन्वयवादी होना चाहिए, जिसमे किसी विचारधारा का बहिष्कार केवल इसलिए न हो की वह पुरानी है अथवा किसी विचारधारा को केवल इसलिए न स्वीकार किया की वह नई है |


 संसार की राजनीति इतनी तीव्रता से गतिशील है कि यह निर्णय कठिन होता जा रहा है की कौन सी बात सही है ? इस उलझन की स्थिति से निकलने के लिए विवेकपूर्ण निर्णय की आवश्यकता है आज विद्यार्थी पर बड़ा उत्तरदायित्व है | भारत एक ऐसा देश है जहां जनसँख्या का बड़ा भाग गाँव में रहता है | गाँव के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती | आज के नवयुवक पर सबसे बड़ा उत्तरदायित्व गाँवों के विकास का है | 


इसके लिए उन्हें शहर के विलासिता पूर्ण जीवन को छोड़कर ग्रामीण अंचल में जाना होगा | उनको आधुनिक विचारधारा एवं सहकारिता की भावना का प्रचार करना होगा |  हमारे गांव को अंधविश्वास और अवैज्ञानिक दृष्टिकोण से मुक्त करना होगा | उन्हें प्रगतिशील बनाना होगा |


  आज के विद्यार्थियों की पीढ़ी के हाथों में कल किस देश की बागडोर आने वाली है |  उन्हीं में से राजनीतिक नेता होंगे, अधिकारी होंगे, जब पति होंगे और किसान होंगे, मजदूर भी होंगे |  देश उनसे यह अपेक्षा करता है कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नए  उत्साह और विचारधारा के साथ प्रवेश करेंगे  | देश को नई दिशा प्रदान करेंगे |  सरकार ने देश के नवनिर्माण  के लिए अनेक योजनाएं बना रखी है, ऊंची योजनाओं का मूल्य नहीं यदि उनको पूरा जन सहयोग ना मिले |  गांव की पिछड़ी जनता से अधिक आशाएं नहीं की जा सकती |  इन योजनाओं के सफलता के लिए देश की निगाहें विद्यार्थियों पर टिकी है |  जाति वर्ग जाति विद्यार्जन के साथ-साथ देश की प्रगति की दिशा में नहीं सोचता तो यह उनका अनुत्तरदायित्व पूर्ण कार्य ही कहा जाएगा | 


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