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हल्दीघाटी का युद्ध, झांसी का युद्ध

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             हल्दीघाटी एवं झांसी युद्ध       हल्दीघाटी का युद्ध - महाराणा प्रताप ने राज्य अभिषेक के बाद अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की तथा जन्म भूमि की रक्षा हेतु प्रतिज्ञा की ‛जब तक मेवाड़ को पूर्ण स्वतंत्रता नहीं दिला लेता तब तक सोने चांदी के बर्तनों में भोजन नहीं करूंगा तथा पलंग पर नहीं सोऊंगा पतले ही मेरा भोजन पात्र तथा धरा ही मेरा बिछौना होगा’ इस प्रतिज्ञा का लोक मानस पर बहुत प्रभाव पड़ा। इस वजह से ही आगे हल्दीघाटी युद्ध में सभी जाति तथा वर्ग के लोग मेवाड़ की भूमि की रक्षा के लिए कूद पड़े। अकबर महाराणा प्रताप की शक्ति को अच्छी तरह से पहचानता था। अतः उसने कूटनीति का सहारा लेकर प्रताप को अधीन करने का प्रयास किया। जलाल खां कोरची , आमेर का युवराज मानसिंह तथा उसके पिता राजा भगवानदास राजा , टोडरमल को संधि वार्ता हेतु भेजा किन्तु यह संधि वार्ता प्रताप को अधिन करने का प्रयास असफल रहे। संधि वार्ता की असफलता के बाद 7 मार्च 1576 अकबर आया और उसने मानसिंह को महाराणा के विरुद्ध आक्रमण हेतु सेनापति नियुक्त किया।  मानसिंह ...

Major rivers of India in Hindi

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         भारत की प्रमुख नदियाँ   भारत में नदियों को पुण्य सलिला कहा जाता है तथा उन्हें मां का स्थान दिया गया है। विश्व में अनेक सभ्यताएं इन नदियों के तट पर पल्लवित पुष्पित हुई है। पुरातात्विक उत्खनन इसके प्रमाण है।  1. गंगा - गंगा भारत की सबसे पवित्र नदी माना जाता है। यह उत्तर भारत की जीवन रेखा है। उत्तराखंड में हिमालय के गोमुख से लेकर गंगासागर ( गंगासागर ) तक इसकी लंबाई लगभग 2510 किलोमीटर है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा भागीरथ ने कठोर तपस्या से गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण कराया। इसी गंगा को भागीरथ के नाम से भी जाना जाता हैं। अनेक प्रमुख तीर्थ एवं नगर गंगा के किनारे बसी हैं। गंगाजल को वैज्ञानिक दृष्टि से सर्वाधिक शुद्ध तथा आध्यात्मिक दृष्टि से पवित्र माना गया है। हमारे अनुष्ठान भी गंगाजल के साथ ही पूर्ण होते है। हिमालय की दुर्लभ वनस्पतियों एवं खनिज तत्वों के इस जल में मिश्रित होने के कारण इसका जल  अधिक से अधिक समय तक ही प्रदूषित नहीं होता।  2. यमुना - यमुना नदी यमुनोत्री उत्तरक...

कश्मीर घाटी, लद्याख, हिमनद, उत्तराखंड का सामान्य जानकारी

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कश्मीर घाटी, लद्याख, हिमनद, उत्तराखंड का सामान्य जानकारी कश्मीर घाटी - समुद्र के तल से 1850 मीटर की ऊंचाई पर पर्वतों से घिरी हुई है कश्मीर की घाटी है। जिसे झेलम की घाटी भी कहते हैं। लगभग 135 किलोमीटर लंबी तथा 32 किलोमीटर चौड़ी इस पर्वत मध्य मैदान का निर्माण झेलम नदी द्वारा हुआ है लेकिन यह भी आश्चर्य की बात है कि पर्वतों के मध्य इतने बड़े मैदानी क्षेत्र का निर्माण कैसे हुआ ? वैज्ञानिकों के अनुसार यहां कभी एक झील हुआ करती थी जो एक बार भूकंप के कारण पहाड़ में दरार पड़ने से झील का पानी झेलम नदी में बह गया। उस प्राचीन झील का अवशेष आज भी डल झील के रूप में विद्यमान है। जम्मू और कश्मीर की राजधानी श्रीनगर भी इसी घाटी किनारे में बसी है। अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण विश्वविख्यात कश्मीर अंतरराष्ट्रीय सैलानियों का एक प्रमुख केंद्र रहा है। भारत में बाहर से आने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्यटक भारी संख्या में कश्मीर को देखने के लिए आती है। डल झील में तैरते नाव के घर जिन्हें हाउसबोट कहते हैं जिसका विशेष आकर्षण है और यहां के लोगों की प्रमुख आजीविक का प्रमुख स्रोत भी है। कृषि के अलावा यहां अनेक प्रकार के उद...

भारत में मिलने वाले पुरस्कार एवं सम्मान

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                     भारत में मिलने वाले  पुरस्कार एवं सम्मान  1 साहित्य पुरस्कार -   साहित्य अकादमी पुरस्कार - यह शासकीय स्तर पर साहित्य के क्षेत्र में साहित्य अकादमी 1954 से लेकर आजतक प्रत्येक वर्ष भारतीय भाषाओं में श्रेष्ठ साहित्य सृजन पुरस्कार के रूप में 1 लाख रुपए तथा प्रशस्तिपत्र दिया जाता है।  साहित्य अकादमी द्वारा ही अनुवाद , बाल साहित्य सृजन और युवा साहित्यकारों के लिए युवा पुरस्कार भी दिया जाता है। इन तीनो पुरस्कारों में 50 - 50 हजार रुपए प्रदान किये जाते है।  साहित्य अकादमी 24 स्थापित भाषाओं के अतिरिक्त शास्त्रीय एवं मध्यकालीन साहित्य में उत्कृष्ट कार्य करने वालो को स्मरण पट्टिका सहित 1 लाख रुपये  ‛भाषा सम्मान’ दिया जाता है।  ज्ञानपीठ पुरस्कार - भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा दिये जाने वाला भारतीय साहित्य का यह सर्वोच्च पुरस्कार है। जो संविधान की के सभी भारतीय भाषाओं में श्रेष्ठ साहित्यिक कृति के लिए दिया जाता है। इसमें 11 लाख रुपए , प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी देवी की काँस्य प्रतिमा दिया जाता है...

ऋतुओं के प्रकार

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  ऋतुओं के प्रकार ग्रीष्म ऋतु -   ग्रीष्म ऋतु मार्च महीने से मई के अंत तक रहती है। 21 मार्च सूर्य भूमध्य रेखा पर सीध में चमकता है। मार्च महीने के बाद मई तक तापमान में वृद्धि होती है। 21 जून को सूर्य जब कल का दिखा से लंबवत पर स्थित होता है उस समय उत्तर भारत में तापमान अपने चरम सीमा पर होता है। तापमान की अधिकता के कारण थार के मरुस्थल से लेकर पूर्व में गंगा के मध्य मैदान तक वायुदाब का क्षेत्र बनने लगता है। मार्च महीने से मई महीने तक गर्म एवं शुष्क हवाएं तेजी से बहती है। जो रात में उसकी गति धीमी हो जाती है एवं दिशा भी कोई निश्चित नही होता। इन हवाओं को लू कहते है। ये हवाएं हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, बिहार तथा अन्य मैदानी भागों में महसूस कि सकती है।  वर्षा ऋतु -   वर्षा ऋतु लगभग जून माह से सितंबर माह तक चलती है। संपूर्ण भारत में 85 से 90 प्रतिशत वर्षा इन्हीं माह में होती है। भारत के साथ-साथ बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल में भी वर्षा इसी माह के अंदर होती है। इस समय तापमान, वायुदाब हवाओं के बहने की दिशा और वर्षा की दिशा अन्य ऋतुओं की तुलना में ...

उद्योगों को स्थापना करने के लिए आवश्यक बाते

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  उद्योगों को स्थापना करने के लिए आवश्यक कारक   उद्योगों की विशेषता यह है कि वह निरंतर,अस्थिर तथा सतत रूप से अपनी जगह को परिवर्तित करता रहता है।  उदाहरण के लिए जिन क्षेत्रों में औद्योगिकीकरण की शुरुवात हुई थी, जहां सैकड़ों कारखाने लगाए थे लाखों मजदूर काम करते थे आज वे सभी विरान हैं।  क्योंकि कारखाना उस जगह से पलायन कर गए और दूसरी जगह विस्थापित हो गए। आज कई उद्योग छोटी इकाईयों में बंट गए है। और दुनिया के कई देशों में फैला हुआ है। यह निर्णय तो उद्योगपति अपने मुनाफे के अनुसार लेता जो बहुत से कारको पर निर्भर करती है -  1 कच्चा माल - सामान्यतः उद्योगों की स्थापना कच्चे माल की उपलब्धता के आधार पर किया जाता है। जिससे परिवहन की लागत बचे। लोहा बॉक्साइट एलुमिनियम जोड़ना आदि यह सब भारी एस होते हैं इसलिए इन उत्पादन क्षेत्र से दूर उद्योग स्थापित करने पर परिवहन का खर्चा बढ़ जाता है जिससे मुनाफा पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए इस तरह के उद्योगों को उत्पादन श्रोत के समीप पर स्थापित किया जाता है इसके विपरीत कपास या कपड़ा का भार बहुत कम होता है इसलिए कपास क...

भारत में मिलने वाले खनिज के प्रकार

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भारत में मिलने वाले खनिज 1 लौह अयस्क - लौह अयस्क से कच्चा लोहा तथा अनेक प्रकार के स्पार्क तैयार किए जाते हैं यह कहा जा सकता है कि आधुनिक विकास का आधार लोहा है। आप खुद अनुमान लगा सकते हैं कि आधुनिक जीवन कृषि, औद्योगिक उत्पादन, निर्माण तथा यातायात में लोहा - इस्पात कहां-कहां कितनी मात्रा में उपयोग होता है। इसी कारण कच्चे लोहे का उत्पादन अन्य सभी धातुओं की तुलना में अधिक होता है। इसकी विशेषता यह है कि इसमें अन्य धातुओं को मिलाकर उसकी मजबूती और कड़ेपन को घटाया या बढ़ाया जा सकता है। लौह अयस्क शुद्धतम रूप में नहीं पाया जाता। अयस्क में लोहे के अतिरिक्त अन्य खनिज पदार्थ भी मिले हुए होते हैं जैसे गंधक, फास्फोरस, चूना, एल्युमिनाम, मैग्नीशियम, सिलिका, टीटेनियम आदि इसे लौह अयस्क कहते हैं। रासायनिक प्रक्रिया के दौरान लोहे को इनसे पृथक किया जाता है।  धातु के मात्रा के अनुसार लौह अयस्क को चार भागों में बांटा जा सकता :- 1 हेमेटाइट ( 70% लोहा ), 2 मैग्नेटाइट ( 70.4 %), 3 लाइमोटाइट ( 59.63% लोहा ), 4 सिडेराइट ( 48.2% लोहा )। भारत में मुख्यता हेमेटाइट और मैग्नेटाइट मिल...