Major rivers of India in Hindi

 


       भारत की प्रमुख नदियाँ 


भारत में नदियों को पुण्य सलिला कहा जाता है तथा उन्हें मां का स्थान दिया गया है। विश्व में अनेक सभ्यताएं इन नदियों के तट पर पल्लवित पुष्पित हुई है। पुरातात्विक उत्खनन इसके प्रमाण है। 


1. गंगा -
गंगा भारत की सबसे पवित्र नदी माना जाता है। यह उत्तर भारत की जीवन रेखा है। उत्तराखंड में हिमालय के गोमुख से लेकर गंगासागर ( गंगासागर ) तक इसकी लंबाई लगभग 2510 किलोमीटर है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा भागीरथ ने कठोर तपस्या से गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण कराया। इसी गंगा को भागीरथ के नाम से भी जाना जाता हैं। अनेक प्रमुख तीर्थ एवं नगर गंगा के किनारे बसी हैं। गंगाजल को वैज्ञानिक दृष्टि से सर्वाधिक शुद्ध तथा आध्यात्मिक दृष्टि से पवित्र माना गया है। हमारे अनुष्ठान भी गंगाजल के साथ ही पूर्ण होते है। हिमालय की दुर्लभ वनस्पतियों एवं खनिज तत्वों के इस जल में मिश्रित होने के कारण इसका जल  अधिक से अधिक समय तक ही प्रदूषित नहीं होता। 


2. यमुना -
यमुना नदी यमुनोत्री उत्तरकाशी से निकली है। इस नदी को कालिंदी एवं सूर्यपुत्री के नाम से भी जाना जाता है। यह ब्रज संस्कृति का आधार भी है। श्री कृष्ण ने यमुना नदी के किनारे वृंदावन में अपनी लीलाओं का  दर्शन कराया है। श्री कृष्ण के द्वारा यमुना में कालियमर्दन तथा नदी किनारे गोचरण अद्भुत है। हमारे देश की राजधानी नई दिल्ली भी यमुना नदी के किनारे स्थित है। गंगा यमुना का मैदानी भाग विश्व का सर्वाधिक उपजाऊ क्षेत्र माना जाता है।


3. सरस्वती -
सरस्वती नदी को हमारी संस्कृति का स्वरूप माना जाता है। वैदिक साहित्य में इसकी व्यापक चर्चा मिलती है। वैदिक साहित्य में इसे अन्नवती तथा उदकवर्ती ‛नदितमे अम्बितमे’ कहां गया है। वैदिक ऋचाओं का संग्रह सरस्वती नदी के किनारे संपन्न हुआ है। वर्तमान में यह नदी अदृश्य हो गई है किंतु नासा के द्वारा लिए गए चित्र में स्पष्ट दिख रहा है कि भूमि के गर्भ में यह नदी बह रही है। मूल रूप से सरस्वती नदी का क्षेत्र हरियाणा तथा उसका समीपवर्ती क्षेत्र है। भारत की प्राचीनतम सभ्यता वास्तव में सरस्वती नदी के किनारे विकसित हुई थी और बाद में सिंधु नदी तक फैल गई। सरस्वती नदी की खोज में आधुनिक पुरातत्वविद डॉ विष्णु श्रीधर वाकणकर जी का बड़ा योगदान रहा है।


4. सिंधु -
सिंधु नदी एशिया की सबसे लंबी नदी में से एक कहा गया है। यह पाकिस्तान, भारत तथा चीन के भूमि में प्रभावित है। सिंधु नदी का उद्गम स्थल तिब्बत में मानसरोवर के समीप ‛सीन का बाब’ नामक जलधारा को माना जाता है। इस नदी की लंबाई 2880 किलोमीटर है। यह तिब्बत कश्मीर और पाकिस्तान के बीच बहती हुई अरब सागर में मिल जाती हैम इसके किनारे विकसित सभ्यता सिंधु सभ्यता के नाम से जाने गए पर्याप्त जल स्रोत के लिए भी यह नदी प्रसिद्ध है। 


5. ब्रम्हपुत्र -
ब्रह्मापुत्र नदी तिब्बत , भारत तथा बांग्लादेश से होकर बहती है। ब्रह्मपुत्र का उद्गम तिब्बत में मानसरोवर के समीप चेमायुंग दुंग नामक प्रवाह से हुआ है। ब्रह्मपुत्र की लंबाई लगभग 29 किलोमीटर है। इसकी विशालता तथा विराट जल राशि के कारण इसे नद के नाम से भी जाना जाता है।


6. गण्डकी -
इस नदी का उद्गम स्थल नेपाल में है। नेपाल के भैसालोटन एवं बिहार के वाल्मीकि नगर में यह नदी मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है। यह पटना के पास कोनहारा घाट से आगे गंगा नदी में सामिल हो जाती है। इस नदी में ही शालिग्राम मिलते हैं। इसलिए इसे नारायणी भी कहा जाता हैं। गज और ग्राह का युद्ध तथा भगवान विष्णु द्वारा गज की रक्षा की साक्षी भी यही नदी को माना गया है।


7. कावेरी -
यह कावेरी नदी कर्नाटक तथा उत्तरी तमिलनाडु में बहने वाली नदी है। इसकी लंबाई लगभग 800 किलोमीटर है। यह पश्चिमी घाट के पर्वत ब्रह्मागिरी से निकली हुई है। इसे कर्नाटक की प्रमुख नदी कहा जाता है। यह नदी तीन धाराओं में बंटी हुई है। इसके तट पर आदिरंगम , शिवसमुद्रम , श्रीरंगम आदि भगवान विष्णु के भव्य मंदिर सुशोभित हैं। कावेरी के तटवर्ती प्राचीन गौरवमय तीर्थ तंजावुर , कुंभकोणम एवं त्रिचिरापल्ली है। जो कावेरी को महिमामंडित करता हैं। मैसूर का प्रसिद्ध कृष्णराज सागर बांध इसी नदी पर बनाया गया है। जिस पर प्रसिद्ध वृंदावन गार्डन स्थित है। बांध का निर्माण महान अभियंता मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के मार्गदर्शन में किया गया था। यह दक्षिण पूर्व में प्रवाहित होकर गंगासागर (बंगाल की खाड़ी) में मिल जाती है।


8. नर्मदा -
इस नदी को रेवा नाम के नाम से भी जाना जाता हैं। यह मध्य प्रदेश व गुजरात में बहती है जो भारतीय उपमहाद्वीप कि प्रमुख नदी है। मध्यप्रदेश राज्य में इसके योगदान के कारण इसे मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कहा जाता हैं। जनसामान्य के लिए पवित्रता की दृष्टि से यह गंगा नदी के समान है। इसका उद्गम विद्यांचल सतपुड़ा पर्वतमाला की मैकल पर्वत श्रेणी के अमरकंटक तीर्थ स्थल से हुआ है। इस कारण इसे मैकलसुता भी कहते हैं। नर्मदा तट पर स्थित ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर के निकट आद्य शंकराचार्य के गुरु श्री गोविंद भगवत पाद आचार्य की खोज भी पूर्ण हुई थी। एक मात्र यही नदी है जिसकी श्रद्धालु परिक्रमा करते हैं। यह नदी खंभात की खाड़ी अंकलेश्वर तीर्थ के पास सिंधु (अरब सागर) में विलीन हो जाती है।


9. कृष्णा -
इस नदी का उद्गम स्थल दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट का पर्वत महाबलेश्वर है। यह दक्षिण पूर्व में प्रभावित होती है तथा गंगासागर में समाहित होती जाती है। यह आंध्र प्रदेश तेलंगाना और कर्नाटक राज्य से होकर बहती है। तीनों ही राज्यों की कृषि में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। तुंगभद्रा , घाटप्रभा , मूसी और मीणा इस नदी की ही उपलब्धियां हैं। इसी नदी के तट पर श्रीशैलम पर्वत का मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग स्थित है। इसी के तट पर विजयवाड़ा में मां कनकदुर्गा का प्रसिद्ध मंदिर है।


10. गोदावरी -
इस नदी को दक्षिण की गंगा भी कहा जाता है। इसकी उत्पत्ति नासिक जिले में पश्चिम घाट के त्र्यम्बकं पहाड़ी से हुआ है। इसकी लंबाई लगभग 1465 किलोमीटर है। इसे गौतमीब , वैष्णवी , माहेश्वरी आदि के नामों से भी जाना जाता है। इस नदी के तटवर्ती स्थानों में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग नासिक (पंचवटी) , पैठण आदि प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यह महाराष्ट्र , तेलंगाना व आंध्र प्रदेश राज्य से प्रवाहित होती है तथा राज महिंद्र शोरूम नगर के समीप गंगासागर में जाकर मिल जाती है। गोदावरी नदी के अनेक प्रसंग राम वनगमन से संबंधित है। इसके किनारे प्रत्येक 12 वर्ष में नासिक में कुंभ का आयोजन होता है। नांदेड़ में दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी का अंतिम समय का साधना स्थल गुरुद्वारा है। जिसे हुजूर साहब कहते हैं। इसको खालसाओ का एक तख्त माना जाता है।


11. महानदी -
इस नदी का उद्गम रायपुर  (छत्तीसगढ़) के समीप धमतरी जिले में स्थित सिहावा नामक पर्वत श्रेणी से हुआ है। महानदी का प्रवाह दक्षिण से उत्तर की तरफ है जिसकी लंबाई 858 किलोमीटर है। प्राचीन काल में महानदी का नाम नीलोत्पला था। यह नदी छत्तीसगढ़ एवं ओडिशा अंचल की सबसे बड़ी नदी है। ऐतिहासिक नगरी आरंग और उसके बाद सिरपुर में यह नदी विकसित होकर शिवरीनारायण में अपने नाम के अनुरूप महानदी बन जाता है। महानदी की धारा  धार्मिक नगरी शिवरीनारायण से मुड़ जाती है और दक्षिण से उत्तर की बजाय यह पूर्व दिशा में बहने लगती है। संबलपुर में प्रवेश कर महानदी छत्तीसगढ़ से विदा लेती है तथा उड़ीसा में संबलपुर , बलांगीर , कटक होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। इस नदी पर रुद्री , गंगरेल तथा हीराकुंड बांध का निर्माण किया गया है।


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