भारत के चार धाम और सप्त पर्वत
भारत के ये चार धाम और सप्त पर्वत भारत की ऐतेहासिक और सांस्कृतिक गथाओ का वर्णन करती है जो भारत की प्रतिष्ठा के रूप में विद्यमान है |
चार धाम : -
- बदरीनाथ धाम
- जगन्नाथ धाम
- द्वारिका धाम
- रामेश्वरम धाम
चार धाम भारत के चारो दिशाओं में सनातन काल से स्थित है जो राष्ट्र के सांस्कृतिक एकात्मा के प्रतिक है | इन सभी चारो धामों की यात्रा हिन्दुओ की इच्छा रहती है | चार धाम का संक्षिप्त में वर्णन -
1. बदरीनाथ धाम :- भारत की उत्तर की सीमा के राज्य उत्तराखंड के हिमालय की चोटियों की गोद में स्थित बदरीनाथ धाम में पवित्र अलकनंदा नदी के दाहिने छोर पर स्थित मंदिर में श्री बदरोनाथ ( विष्णु ) की प्रतिमा स्थापित है | यह उल्लेखनीय है की इस मंदिर के पुजारी भारत के दक्षिणी राज्य केरल के नम्बूदरीपाद के ब्राम्हण होते है |
गंगोत्री, यमुनोत्री, पंचबदरी और केदारनाथ भी इसी क्षेत्र के प्रसिद्ध तीर्थ है | इसके निकट सीखो का तीर्थ हेमकुन्ट साहिब भी है | अधिकतर समय बर्फ से ढके होने कारण या मंदिर अप्रैल मास से लेकार नवम्बर तक खुला रहता है |
2. जगन्नाथ धाम :- भारत की पूर्वी दिखा में स्थित समुद्रतटीय राज्य ओडिशा में जगन्नाथ पूरी नगरी में स्थापित श्री जगन्नाथ धाम में भगवान जगन्नाथ ( कृष्ण ), बलभ्रद तथा उनकी बहन सुभद्रा की नीम की लड़की के बना हुआ काष्ठ प्रप्रतिमाएं है | जिस वर्ष भी आषाढ़ मास अधिक मास के रूप में आता है उस वर्ष पुराणी प्रतिमाओं को बदलकर नविन प्रतिमाएं स्थापित की जाती है | इस प्रक्रिया को कलेवर परिवर्तन की प्रक्रिया कहा जाता है | जगन्नाथ धाम की रथयात्रा विश्व प्रसिद्ध महोत्सव है | जगन्नाथ धाम, सामाजिक समरसता का भी एक अनूठा उदहारण के रूप जाना जाता है | यहाँ बनने वाले भात का प्रसाद बिना किसी भेदभाव, जाती - पाती देखे बिना हर श्रद्धालुगण को यह प्रसाद दिया जाता है | आध्य शंकराचार्य जी द्वारा स्थापित गोवर्धन पीठ के चार प्रमुख शांकर पीठों में एक पीठ यही स्थित है |
3. द्वारिका धाम :- द्वारका धाम भारतवर्ष के पश्चिमी समुद्र तट पर स्थित है जिसका निर्माण श्री कृष्णा ने किया था जो समुद्र से गिरी हुई थी । जिसके कारण यहां बाह्य आक्रमण उसे सुरक्षित रहता ।
श्री कृष्णा जी यहां द्वारिकाधीश के नाम से विख्यात थे । पौराणिक कथाओं के अनुसार यह नगरी श्रीकृष्ण की मृत्यु के पश्चात जलमग्न हो गयी थी । श्री कृष्ण की द्वारका का समुद्र में डूबे होने का प्रमाण अब वैज्ञानिक तौर पर भी सिद्ध हो चुका हौ । इस स्थान पर समुद्र के नीचे 130 फीट की गहराई में 560 फुट लंबी मानव निर्मित दीवार के अवशेष मिले हैं । आज शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार पीठों में से एक पीठ द्वारिका पीठ भी है तथा प्रसिद्ध सप्तपुरियों में से एक होने के कारण द्वारिका दुनिया भर विख्यात है ।
4. रामेश्वरम धाम :- रामेश्वर धाम भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है । भगवान श्री राम द्वारा रामेश्वरम में स्थापित शिवलिंग की गणना 12 शिवलिंगो में कई जाती है । भगवान श्री राम द्वारा निर्मित सेतु आज की पुरातात्विक प्रमाण देते हुए इसी स्थान पर स्थित है । इस शिवलिंग में उत्तर के हिमालय में स्थित गंगोत्री तीर्थ से गंगाजल लाकर इसमें चढ़ाने की परंपरा है । यहां के पुजारी उत्तर भारतीय वंशीय ब्राम्हण होते है । रामेश्वरम मंदिर अपनी अदभुत वास्तुकला के कारण भी सुप्रसिद्ध है ।
सप्त पर्वत :-
- महेंद्र पर्वत
- मलयाचल पर्वत
- सह्याद्री पर्वत
- रैवतक पर्वत
- देवतात्मा हिमालय
- विंध्याचल पर्वत
- अरावली पर्वत
राष्ट्रीय के अनुसार विभिन्न प्रान्तों में स्थित सात पर्वत विभिन्न तीर्थों, भौगोलिक, और सांस्कृतिक , ऐतेहासिक महत्व भारतीय जनमानस के लिए श्रद्धा का केंद्र है ।
ये सात पर्वत निम्नलिखित है ।
1 महेंद्र पर्वत - तमिलनाडु जिले के गंजम जिले से तमिलनाडु में मदुरै तक फैली पर्वत की श्रृंखला महेंद्र गिरी है । इसे मैले भी कहा जाता है । इस पर्वत को भगवान परशुराम जी के तपस्थली नही माना जाता है ।
2 मलयाचल - कर्नाटक के मैसूर जिले के और केरल के त्रावणकोर जिले के पूर्व में सुगंधित चंदन के वृक्षो के लिए प्रसिद्ध मलयाचल पर्वत विद्यमान है । यह महर्षि अगस्त की तपोभूमि कहा जाता है ।
3 सह्याद्रि - महाराष्ट्र में कर्नाटक के सीमा तक व्याप्त कावेर और कृष्णा जैसी प्रसिद्ध नदियों उदगम सह्याद्रि पर्वत भारत की पश्चिमी घाट की सुदीर्घ पर्वत श्रृंखला है । यह विश्व मे जैव विविधता के लिए होने के कारण इसे यूनेस्को की विश्वविरासत सूची में स्थान प्राप्त है । साथ ही साथ छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य गाथाएँ कहते हुए रायगढ़, सिंहगढ़, प्रतापगढ़, पुरंदर गढ़ आदि दुर्ग भी इसी पर स्थित है ।
4 रैवतक पर्वत - पश्चिमी राज्य गुजरात में स्थित वर्तमान समय मे गिरनार के नाम से प्रसिद्ध पर्वत ही प्राचीन रैवतक पर्वत है जो जूनागढ़ के निकट स्थित है । श्री कृष्ण के भाई बलराम जी के पत्नी के पिता रैवतक के नाम से ही इसे इस नाम से जाना जाता है । अर्जुन ने श्री कृष्ण के इच्छा के अनुसार सुभद्रा को उसकी इच्छा के विरुद्ध विवाह को रोकने के लिए यही से हरण किया था ।
बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, कैलाश, अमरनाथ, मानसरोवर, आदि अनेक तीर्थ स्थान इसी की गोद मे बसी है ।
6 विंध्याचल - उत्तरी भारत और दक्षिणी भारत को जोड़ने वाला विस्तृत पर्वत विंध्याचल पर्वत है ।
महर्षि अगत्स्य द्वारा उत्तरी - दक्षिणी भारत मध्य को आवागमन के लिए सुलभ बनाने की कथा प्रचलित है ।
शोण और नर्मदा नदी इसी की गोद से प्रभावित है ।
7 अरावली - राजिस्थान में 4 सौ मील में विस्तृत क्षेत्र में अरावली पर्वत फैला हुआ है जो गुजरात से दिल्ली तक फैला है । यह पर्वत वनस्पति से घिरी हुई, रेतीली और पथरीली मिट्टी से बना हुआ अरावली शौर्य गाथाएँ इसमे कल्पित है । चित्तौड़, रणथंभौर, कुम्भलगढ़, बूंदी, अजयमेरू, आमोर, जैसलमेर आदि जैसे दुर्ग अरावली की शौर्य, संस्कृति का परिचय देती है ।
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